14-02-14  ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

“परमात्म प्यार के पात्र बच्चे प्यार लेते और देते हुए फालो फादर कर स्वयं भी निर्विघ्न बनो और अपने नजदीक साथियों को भी निर्विघ्न बनाओ”

आज प्यार के सागर चारों ओर के हर बच्चे को बहुत-बहुत-बहुत प्यार दे रहे हैं। यह परमात्म प्यार सारे कल्प में अब संगम के समय ही प्राप्त होता है। दुनिया वाले आज के दिन को प्यार का दिन कहते हैं लेकिन आप बच्चों के लिए संगमयुग का हर दिन बाप के प्यार को प्राप्त करने का है। आज दिन के यादगार प्रमाण बापदादा के सामने आप बच्चे हो लेकिन बापदादा के दिल में चारों तरफ के बच्चे चाहे फारेन में हैं, चाहे गांव में हैं लेकिन हर बच्चा बाप के दिल का दुलारा है। वैसे तो यह संगमयुग ही परमात्म प्यार के आप पात्र हो लेकिन आज विशेष आज की दुनिया के हिसाब से प्यार का दिन है तो बापदादा भी चारों तरफ के एक-एक बच्चे को बेहद का प्यार, दिल का प्यार, सदा उमंग-उत्साह में उड़ने का प्यार एक-एक बच्चे को, प्यार के पात्र बच्चों को, हर बच्चे को सामने लाए दे रहे हैं। आप तो सामने हैं साकार में लेकिन बापदादा के सामने चारों ओर के बच्चे, प्रेम के पात्र बच्चे प्यार दे और प्यार ले रहे हैं। वैसे तो आज के दिन को मनाने के कारण कहते हैं लेकिन हर बच्चा हर संगम के समय परमात्म प्यार के पात्र है। यह प्यार की पात्र आत्मायें बाप के अति प्यारे, बाप के लाडले बच्चे हैं। यह परमात्म प्यार सिर्फ संगमयुग के एक जन्म में ही प्राप्त होता है। यह प्यार अनेक जन्म के दु:ख दर्द को समाप्त कर सदा खुशी की खुराक खिलाने वाला है। हर एक बच्चा परमात्म प्यार के अधिकारी आत्मायें हैं। आज के दिन बापदादा हर बच्चे को दिल का प्यार ले भी रहे हैं, दे भी रहे हैं। आप सब भी प्रेम स्वरूप आत्मा बन अपना स्वरूप दिखाए रहे हो। हर एक बच्चे के नयनो में, मस्तक में परमात्म प्यार समाया हुआ है। अभी आप हर एक को अन्य भाई और बहिनों को परमात्म प्यार के पात्र बनाने का उमंग-उत्साह सदा दिल में रहता है।

बापदादा आज देख रहे हैं हर एक बच्चे के मन में उमंग-उत्साह है कि बाप समान बनना ही है। फॉलो फादर करने वाले हो ना! जैसे बाप का सदा हर बच्चे से चाहे पुरुषार्थ में नम्बरवार है फिर भी बाप का प्यार सदा हर बच्चे के साथ है। हर बच्चे को अमृतवेले बापदादा विशेष चारों ओर यादप्यार और शक्तियां वरदान में देते हैं। ऐसे प्रभु पात्र बच्चों का भाग्य है, अब बापदादा का एक और संकल्प है, सुनायें? सुनायें, करना पड़ेगा। करने वाले हाथ उठाओ। हिम्मत तो बहुत अच्छी है, बापदादा खुश है और हिम्मते बच्चे मददे बाप भी है। अब यह कमाल दिखाओ - हर बच्चा निर्विघ्न बन बाप समान बनें। लक्ष्य तो सबका है लेकिन बीच-बीच में कोई विघ्न थोड़ा ढीला भी कर देती है। अब बाबा यही चाहते हैं कि हर एक अपने को लक्ष्य रख करके निर्विघ्न, मन्सा, चाहे वाचा, चाहे सम्बन्ध-सम्पर्क में निर्विघ्न सदा बाप समान बन औरों को भी उमंग-उत्साह में लाकर उनके सहयोगी बन उन्हों को भी निर्विघ्न बनावे। हर एक अपने सेवा स्थान को निर्विघ्न बनाकर सभी की दुआयें ले। हर एक सेवाकेन्द्र या हर एक जहाँ भी है, घर में है, चाहे सेंटर पर हैं, यह दृढ़ संकल्प करे और करके दिखावे कि मैं निर्विघ्न हूँ और साथियों को भी निर्विघ्न बनाने की सेवा करूंगा। कम से कम हर सेंटर को अपने- अपने साथियों के सहयोगी बन निर्विघ्न बनाने की सेवा में सफल बनें। बापदादा अभी चाहे सेवाकेन्द्र, चाहे स्वयं कहाँ भी रहते हैं, स्वयं को निर्विघ्न, संकल्प मात्र भी व्यर्थ समाप्त, ऐसे बने और बनायें, यह हो सकता है?

तो आज से देखो सभी हाथ उठा रहे हैं। पीछे वाले हाथ हिलाओ। अच्छा। तो आज से स्वयं को निर्विघ्न और जहाँ भी रहते हैं, उस स्थान को, साथियों को निर्विघ्न बनायेंगे - यह दृढ़ संकल्प करते हो अभी से? साथियों को भी बना सकते हो? इसमें हाथ उठाओ। सोच-सोच के उठा रहे हैं। जब आप विश्व परिवर्तक अपने को कहलाते हो तो विश्व के परिवर्तन के पहले जहाँ भी है उस स्थान को तो निर्विघ्न बनायेंगे ना! लक्ष्य रखो जैसे अपने को निर्विघ्न बनाया है, संकल्प में सफलता है वैसे साथियों को, वायुमण्डल को भी बनायेंगे तब तो अपना राज्य आयेगा ना! तो अभी आज के दिन बापदादा यही काम देते हैं कि खुद तो बने हैं, बापदादा खुश है लेकिन साथियों को भी निर्विघ्न बनायें क्योंकि अपना राज्य स्थापन करना है ना तो राज्य में तो सभी होंगे ना! तो संकल्प करो, साथियों की भी, जहाँ तक हो सकती है, मदद लो। मदद लेके भी बनाना है। यह संकल्प कर सकते हो? कर सकते हो हाथ उठाओ। हाथ तो सभी उठा रहे हैं? बहुत अच्छा। अच्छा है, हिम्मत है, चाहे कैसा भी है लेकिन आपका वायुमण्डल इतना पावरफुल हो जो अपने वायुमण्डल को जहाँ तक आपका वायुमण्डल है, वहाँ तक हर एक निर्विघ्न हो। यह हो सकता है? हो सकता है? जो समझते हैं हो सकता है वह हाथ उठाओ। पीछे वाले हाथ उठा रहे हो, ऐसे ऐसे करो। हाथ उठाके तो खुश कर दिया, मुबारक हो। अच्छा है संकल्प तो किया ना, करना है। क्यों? अपने साथ रहने वाले या सम्पर्क वाले उन्हों को तो साथी बनाना है ना! भले नम्बरवार बनेंगे, यह तो बाप भी जानते हैं लेकिन फर्क तो दिखाई दे ना! तो आज से विशेष संकल्प उत्पन्न करो कि अपने कनेक्शन में, नजदीक वाले उन्हों को भी निर्विघ्न बनाना है। बना सकेंगे? बना सकेंगे? बनायेंगे? पहली लाइन नहीं उठाती है। अपना राज्य तो लाना है ना। तो राज्य में साथी को लाना तो है ना, उसको छोड़ देंगे क्या? एक दो को साथ देके भी लक्ष्य रखेँगे तो हिम्मत आपकी मदद बाप की है। यह हो सकता है? हो सकता है इसमें हाथ उठाओ। हाथ तो सभी अच्छा उठाते हैं। हाथ उठा करके बापदादा को खुश कर देते हैं।

तो बापदादा टाइम देते हैं, अपने कनेक्शन में आने वालों को आप समान साथी बनाओ। चारों ओर ब्राह्मण सदा निर्विघ्न, यह हो सकता है कि मुश्किल है? जो समझते हैं हो सकता है वह हाथ उठाओ। अच्छा। यह पहली लाइन। हो सकता है? तो अगली सीजन तक टाइम देवें कि अभी? अभी हो सकता है? साथियों को आप समान बनाना है। नम्बरवार होंगे लेकिन इतना तो बनाओ जो कोई विघ्न रूप नही बनें। यह हो सकता है? विघ्न रूप नहीं बने? पहली लाइन। हो सकता है? आगे वाले? अच्छा। हिम्मत अच्छी है। तो अगली सीजन में आयेंगे तो यह खुशखबरी सुनेंगे। यह लायेंगे, जो समझते हैं हम पुरुषार्थ करके थोड़ी मेहनत भी करनी पड़ेगी लेकिन साथियों को, आसपास वालों को निर्विघ्न बनायेंगे, वह हाथ उठाओ। हाथ तो बहुत अच्छा उठा रहे हैं, शाबास हो, शाबास हो। अभी बापदादा हर मास रिजल्ट देखेंगे। कम से कम अपने नजदीक वाले साथियों को तो आप समान बनाना चाहिए ना! बना सकते हैं? बना सकते हैं? अच्छा इसमें हाथ उठाओ। हाथ तो सभी उठा रहे हैं। बापदादा आपको ऐसे सहयोगी बनाने वालों को अभी भी मुबारक दे रहे हैं, और जब फिर आयेंगे तो यह रिजल्ट देखेँगे कि हो गया। हो सकता है? हो सकता है? पहली लाइन नहीं उठाती! क्योंकि सभी निमित्त हो ना तो निमित्त को तो ध्यान देना पड़ेगा। अच्छा है, हिम्मत आपकी, मदद बाप की।

तो अभी करके बाप को दिखायेंगे ना! बापदादा देखेँगे। बापदादा जो प्रैक्टिकल साथियों को ऐसे निर्विघ्न बनायेंगे उनको बापदादा प्रेजेन्ट (इनाम) देंगे। लेकिन आप कहेंगे तो थोड़ा इंक्वायरी तो करेंगे। इसके लिए तैयार हैं? पहली लाइन। अच्छा है। हिम्मत वालों को बापदादा की मदद है और मिलती रहेगी। अच्छा।

आज का दिन प्यार का दिन है, तो प्यार में तो सब सहज हो जाता है। तो जैसे आप सभी ने हिम्मत रखी वैसे मदद भी बाप करेंगे, साथी भी मदद करेंगे तो प्रैक्टिकल में दिखाई देगा। परिवर्तन तो होना है ना। जो भी छोटी मोटी बात है ना, वह परिवर्तन आपेही कर लो। कहना नही पड़े। समझदार तो हो क्या करना है, क्या नहीं करना है! तो जो नहीं करना है वह नहीं कर लो, बस।

बापदादा अभी विश्व परिवर्तक बनने के लिए हर एक को निर्विघ्न बनना और साथियों को बनाना, यह चाहते हैं क्योंकि विश्वथ परिवर्तक हो, तो एक दो साथियों को बदलना क्या मुश्किल है! तो हर एक ध्यान रखना हमको अपना वायुमण्डल और साथियों को निर्विघ्न बनाना ही है। विश्व को बनाने वाले हो, बापदादा तो छोटा सा काम दे रहे हैं। संकल्प करते हो तो हाथ उठाओ। संकल्प करने वाले। (सभी ने हाथ उठाया) हाथ उठाके तो खुश कर दिया। मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो। अभी दूसरे बारी आयें तो खुशखबरी सुनेंगे ना। सुनेंगे, सुनेंगे? इसमें हाथ उठाओ। अपने नजदीक वाले साथियों को निर्विघ्न बनाओ, छोटा सा काम देते हैं, सभी को नहीं कहते हैं। अच्छा।

बापदादा को मजा आता है, जब बच्चे हिम्मत रखते हैं ना तो बापदादा को बहुत खुशी होती है और हिम्मते बच्चे मददे बाप, साथी तो है ही। तो अगले बारी क्या रिजल्ट देखेँगे? हर एक के साथ रहने वाले, नजदीक रहने वाले उसमें परिवर्तन है। ऐसे है ना! यह करेंगे ना? साथियों को आप समान तो बनायेंगे ना! इसमें हाथ उठाओ। हाथ उठाने में तो बहुत अच्छा है। बापदादा खुश होते हैं, हाथ उठाने की भी हिम्मत तो रखी। करने में एक दो के साथी बनना। तो सभी खुश हैं? हाथ उठाओ जो खुश हैं। जो खुशी कभी नहीं गंवाते, सदा खुश? सदा खुश? पीछे वाले सदा खुश हैं? लम्बा हाथ उठाओ। अच्छा। सदा खुश रहना और सदा खुश बनाना। मंजूर है ना! बनाना भी है क्योंकि अपना राज्य स्थापन होना है, करना है तो साथियों को तो साथ लेंगे ना! अच्छा।

ईस्टर्न जोन, तामिलनाडु, नेपाल, आसाम, बंगाल, बिहार, उड़ीसा के 17 हजार आये हैं:- (सभी को नम्बरवार उठाया) हर एक स्थान की जोन सबजोन इनचार्ज बड़ी बहिनें उठें, अभी लक्ष्य रखो कि जो भी एरिया आपको मिली है सेवा के लिए, उनको निर्विघ्न बनाना ही है। आप लोग संकल्प करो क्योंकि राजधानी स्थापन करनी है। आधाकल्प राजधानी चलेगी। तो इसके लिए थोड़ा चक्कर लगाके मेहनत करो जो हेड हैं वह सभी जगह रहके समस्याओं को हल करो। होती तो समस्यायें एक जैसी हैं लेकिन हर एक अपनी एरिया में समस्या समाप्त करके सफलतामूर्त बनें। ठीक है ना। हाथ उठाओ। अच्छा। तो अगले बार जब आयेंगें तो पूछेंगे आपकी एरिया से विघ्न समाप्त हुए? पूछें? क्योंकि बनना तो आप लोगों को ही है, जो भी बैठे हैं उन्हों को ही है, बनके बनाना है। राजधानी स्थापन होगी तो यहाँ से ही संस्कार डालेंगे ना। होगा! कोई बात नहीं है, बापदादा भी मददगार बनेंगे। कोई भी ऐसी प्रोब्लम हो तो यज्ञ में लिखकर भेजो, ठीक होगा, जैसे मदद हो सकेगी, होगी। निर्विघ्न तो बनना ही पड़ेगा। तब तो अपना राज्य स्थापन होगा। बहुत अच्छा।

डबल विदेशी भाई बहिनें 400 आये हैं:- यह डबल विदेशी, बहुत अच्छा। डबल विदेशियों को बापदादा देख करके खुश होते हैं, वाह डबल विदेशी वाह! क्योंकि आप लोगों ने बाप को विश्व पिता प्रसिद्ध किया है। भारत कल्याणी नहीं विश्व कल्याणी है। पहले थे भारत कल्याणी और अभी चारों तरफ सेवा बढ़ाने से विश्व कल्याणी प्रैक्टिकल में हैं। तो आप लोगों को बहुत-बहुत-बहुत यादप्यार और बहुत-बहुत कमाल करके आगे बढ़ने वाले बापदादा देख रहे हैं। अच्छा पुरुषार्थ कर रहे हैं। भले हर जगह भिन्न भिन्न तो होते हैं लेकिन फिर भी भारत के सिवाए विश्व पिता कहलाने के निमित्त बने हो। अच्छा है। डबल विदेशियों को बापदादा आज डबल प्यार दे रहे हैं। दूर रहते भी, देशहै लेकिन दिल नजदीक है। ऐसे हैं ना! हाथ उठाओ। बहुत अच्छा। बापदादा भी खुश होते हैं और आगे बढ रहे हैं, विदेशी तरक्की कर रहे हैं वहाँ, इसकी भी बधाई हो। अच्छा। एक दो के सहयोगी बनके और निमित्त जयन्ती बहन कहाँ है? यह चक्कर बहुत लगाती है। अच्छी सेवा कर रही है। साथी भी आपके अच्छे हैं। बापदादा डबल विदेशियों को डबल यादप्यार दे रहे हैं। मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो। अच्छा।

चारों ओर के बच्चों को, चाहे देश चाहे विदेश सभी बच्चों को बापदादा दिल का यादप्यार और शुभ बात सुना रहे हैं कि देखा गया है कि चारों ओर विदेश में या देश में भी सेवा के ऊपर अटेंशन अच्छा है, वृद्धि है और आगे भी वृद्धि करते रहेंगे। मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो।

मुन्नी बहन से:- सभी खुश हैं, सन्तुष्ट हैं, सेवा कर रही हो करती रहेगी।

दादी जानकी से:- (बापदादा को गुलाब के फूलों का हार पहनाया) यह हार आप सबके प्यार का है। निमित्त यह पहना रही है लेकिन आप सबका प्यार बापदादा को पहुँच गया। सभी का प्यार बापदादा को पहुंच रहा है। सभी को आगे तो नहीं ला सकते इसीलिए दूर से ही बापदादा वाह बच्चे वाह कह रहे हैं।

मोहिनी बहन:- ठीक है। अच्छी हो गई, अभी अच्छी रहेगी।

(रतनमोहिनी दादी को गुलबर्गा युनिवर्सिटी से डाक्ट्रेट की डिग्री मिलने वाली है) अच्छा है।

डा.निर्मला दीदी से:- अच्छा सम्भाल रही हो, स्थान भी अच्छा चल रहा है। मुबारक हो।

हंसा बहन से:- जो करता है उसको अन्दर ही अन्दर पुण्य के खाते का अनुभव होता है। होता है? आप दादी को सम्भाल रही हो इसमें सब आ जाता है। एक दादी की सेवा नहीं कर रही हो, अनेकों की सेवा कर रही हो।

तीनों भाईयों ने बापदादा को गुलदस्ता दिया:- ठीक है, अच्छा है। निर्विघ्न हैं सभी। सभी काम ठीक चल रहे हैं और जिसकी बातें हैं, वह भी ठीक हो रही हैं! हो रही हैं ना! मुबारक हो।

बृजमोहन भाई से:- आपने टॉपिक बदली नहीं की? (बदली की है, बापदादा को दिखाई) इससे समझ जायेंगे? जो खास गीता के बारे में था वह इससे थोड़ा छिप गया है। अभी सोचो। सोचेंगे तो ठीक हो जायेगा।

हरिद्वार में संत सम्मेलन कर रहे हैं:- अच्छा है, उन्हों को जगाओ। 

रमेश भाई से:- कारोबार ठीक है ना। 

डा. बनारसी भाई से:- सेवा ठीक कर रहे हो, मुबारक। थकता नहीं है। अच्छा है। वरदान है आपको।

ओम् शान्ति।